Wednesday, April 20, 2011

लोक गायकों के साथ क्या लुप्त हो जायेगा लोक संगीत भी?

किसी ने खूब कहा है ," दूध देने वाली गाय सभी को पसंद होती है, जो गाय दूध नहीं देती वो बोझ बन जाती है" | कुछ ऐसा ही उत्तराखंड की इस लोक गायक दम्पति के साथ भी हुआ है| श्री संत राम और श्रीमती आनंदी देवी के गले में माँ सरस्वती का वास तो है पर आखों में प्रकाश नहीं| ना ही कोई लाठी लेकर चलाने वाला है ना कोई रोटी बनाकर देने वाला|

ये और इन जैसे न जाने कितने ही लोक गायक आज अपने लिए दो जून की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे हैं| क्या हमें इस बात का आभास है की इनके साथ हम क्या खोने जा रहे हैं?

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